क्या आप परीक्षा की तैयारी कर रहे हैं!

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यह आजमाइस परवरिश की भी है


परीक्षा देने के लिए घर से निकलते वक्त बच्चे का तनाव चरम पर होता है। ऐसे में उससे कुछ ऐसा कहें कि उसका तनाव कम हो, न कि बढ़े। यह बच्चे से पहले अभिभावकों की समझदारी की परीक्षा है।

क्या न कहें?

ये सारे वाक्य बच्चों के मन में नकारात्मक विचार ला सकते

हैं। ऐसा कभी न करें, परीक्षा के दौरान तो बिलकुल नहीं- शंका पैदा कर देना पड़ा हुआ सब याद है न, सोने के

बाद भूल तो नहीं गर?”

भ्रम में डाल देना। तुम्हारी सहेली काह रही थी कि चौथा- पांचवा चैप्टर अहम है। तुम्हारी तैयारी है न?’

सहज न रहने देना दांत क्यों दिखा रहे हो? कभी तो

परीक्षा को गंभीरता से लिया करो !’ इरादा ‘ध्यान रहे, वे क्लास बहुत महत्वपूर्ण है। इसके

स्वयं से सक्रिय तय होता है। तुलना करना ‘अपने भाई बहन को देखो, कितने अच्छे

नंबर से पास होता होती है, और एक तुम हो।’ हतोत्साहित करना। इससे तो कोई उम्मीद ही नहीं है मुझे,

पास हो नाप बस। धमकाना ‘अच्छे नंबर नहीं लाई ती स्कूल से नाम कटवा दूंगा।

एहसान जताना इतने पैसे खर्च कर रहे हैं, अपनी जरूरतों में कटौती करके तुम्हें पद्म रहे हैं, पर तुम्हें क्या फर्क पड़ता

खुद से दूर करने की धमकी देना इस बार परिणाम अच्छे नहीं आए तो हॉस्टल भेज देंगे, जहां सब समझ में आ जाएगा।

जैसा कि पहले भी कहा गया है, कोई भी अभिभावक जानबूझकर, बच्चे को डराने-धमकाने के लिए कुछ नहीं कहता। किंतु, बच्चे को लेकर चिंता या उससे अपेक्षा के चलते अच्छे इरादे से भी कुछ शब्द या वाक्य ऐसे कह दिए जाते हैं, जिनका असर उल्टा हो जाता है, यानी बच्चा सतर्क जागरूक होने के बजाय डर जाता है।


क्या कहें?

‘परीक्षा हॉल में सीर्फ पेपर पर ध्यान देना। परिणाम की चिता को साइड में रखकर प्रश्नपत्र हल करना।

‘खुद पर विश्वास रखो, तुम अच्छा कर सकते हो।’ ‘हमने देखा है, तुमने पर्याप्त मेहनत की है। बिलकुल मत

घबराओ। ‘हमें तुम पर पूरा यकीन है। तुम जीवन में बहुत आगे जाओगे।’

‘जिंदगी में बहुत सारी परीक्षाएं आती हैं। हम सब भी रोज परीक्षा देते हैं। इसलिए बहुत ज्यादा मत सोचो। ‘हमारा आशीर्वाद हमेशा तुम्हारे साथ है। ईश्वर भी तुम्हारी सहायता करेगा।

‘सारी चीजें ध्यान से बैग में रख ली हैं न ?’

‘आराम से जाना। हम तुम्हें लेने समय पर आ जाएंगे। माता-पित्त की कही हुई हर छोटी से छोटी बात भी एक बच्चे के मन पर काफी प्रभाव डालती है। यदि आप उससे सकारात्मक शब्द कहेंगे तो उसकी ऊर्जा दोगुनी हो जाएगी और वह निश्चिंत होकर परीक्षा देगा।

घर का माहौल कैसा है?

शब्दों और लहजे के अलावा, परीक्षा के समय घर का वातावरण भी खुशगवार बनाए रखना अभिभावकों को जिम्मेदारी है। घर के सदस्यों में आपसी मतभेद, खासकर माता-पिता के बीच झगड़े होना बच्चे के अंतर्मन को विचलित कर सकता है, जिससे उसका ध्यान पढ़ाई पर केंद्रित नहीं हो पाएगा। जब बच्चा परीक्षा के लिए निकल रहा हो तो घर के सदस्य वाद-विवाद, खट-पट, शोर (नल/मिक्सी/मोटरपंप की ध्वनि), तेज आवाज में बातचीत को कुछ समय के लिए


पढ़ते समय भली है मोबाइल से दूरी

पढ़ाई करते समय सिर्फ के एक शब्द का मतलब

टाइम देखने के लिए न मोबाइल का इस्तेमाल करते

है और एक घंटा कब बीत जाता है पता ही नहीं

चलता। इससे काफी समय बर्बाद हो जाता है।

इस स्थिति में फोन से दूरी बनाने में ये उपाय

आपके काम आएंगे…

इ-नॉट-डिस्टर्ब मोड

अगर आप मोबाइल के किसी ऐप से पढ़ाई कर रहे

हैं तो फोन को डू नॉट डिस्टब मोड पर रख सकते

हैं। इससे वॉयस का कॉल नहीं जाएगा। हालांकि

अनर आप घर से बाहर रहते हैं तो मम्मी-पापा

या कुछ जरूरी लोगों के नंबर को अपनी फेवरेट

लिस्ट में रखें। इससे जो लोग आपकी इस लिस्ट

में होंगे सिर्फ उनके ही कॉल जाएंगे।

पढ़ाई की जगह से दूर रखें

पढ़ाई के लिए तय किए गए स्थान को भी फोन डोन बनाएं और वहां फोन ले जाने से बचें।

रिवीजन के लिए तैयार किए गए नोट्स से ही पढ़ाई

करें। अगर ऑनलाइन क्लास से पढ़ाई कर रहे हों

तो लैपटॉप, स्टडी टैब या किसी परिजन का फोन

भी इस्तेमाल कर सकते हैं।

किसी बड़े को सौंप दें

पढ़ाई करते समय अपने फोन को मम्मी-पापा खा

घर में किसी बड़े को सौंप दें। साथ ही उन्हें से नी कहें कि पढ़ते समय अगर विनती  ऐसे व्यक्ति का वॉल आ रहा है जिससे बात करना आवश्यक नहीं है तो आपकी बात करने के लिए फोन न हैं।

सोशल मीडिया अकाउंट हटाएं

अबतक परीक्षा खत्म न हो जाए तब तक फोन में
मौजूद ऐसे सोशल मीडिया ऐप जिन पर आपका

ज्यादा समय बर्बाद होता है उन्हें अनइंस्टॉल कर दें

क्योंकि ये आपका ध्यान अपनी ओर खींचते हैं।

ब्रेक में करें इस्तेमाल

अजर कुछ सर्च करना हो या दोस्त से किसी टॉपिक पर चर्चा करणी ही तो यह कर पढ़ने के लिए निर्धारित किए नए समय में करने से बचे। इसके बजाय पढ़ाई के बीच में मिलने वाले ब्रेक में निपटाने की कोशिश करें। इससे से पढ़ाई के लिए तय किया गया समय बर्बाद नहीं होगा।


लिखकर पढ़ने के कई फ़ायदे हैं…

गुजरे वक्त में किसी एक वर्तनी या वाक्य के गलत होने पर शिक्षक दंड के रूप में उसे कभी 10 बार, 20 बार या 50 बार लिखने को कहते थे। यह असंभव लगभग सभी को होगा। उस समय ये हमारे लिए एक दंश होता था पर इसके पीछे कई और भी कारण होते थे जो परीक्षा के समय हमारे लिए काफी फायदेमंद साबित होते थे। अगर आपके बच्चे भी परीक्षा की तैयारी कर रहे हैं तो लिखकर याद करने की इस तकनीक से उन्हें कई और भी
लाभ मिल सकते हैं।



परीक्षा के समय एक सुलभ रोड मैप तैयार करें एक टाइम टेबल तैयार करें और उसके हिसाब से चले हमारे चैप्टर में से कौन से सब्जेक्ट कितने नंबर के आते हैं यह देखें सबसे ज्यादा नंबर वाले पर ज्यादा ध्यान दें। कुछ प्रश्न थोड़ा बदल करके आते हैं इस पर ज्यादा ध्यान दें भय मुक्त रहें

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