विधायक अयोग्यता पर विधानसभा अध्यक्ष का फैसला
मुंबई : शिवसेना विधायकों की अयोग्यता
को लेकर महाराष्ट्र विधानसभा के अध्यक्ष राहुल नार्वेकर ने संतुलित फैसला सुनाते हुए एकनाथ शिंदे और उद्धव ठाकरे खेमे के किसी विधायक को अयोग्य नहीं ठहराया, उन्होंने दोनों ओर से दायर अयोग्यता की याचिकाओं को स्थारिज कर दिया. साथ ही, शिंदे गुट की शिवसेना को असली शिवसेना करार दिया और इस गुट के 16 विधायकों को अपात्र नहीं ठहराया इस फैसले से उद्भव ठाकरे गुट को भारी झटका लगा है.
नार्वेकर ने अपने निर्णय में कहा कि उद्धव ठाकरे पार्टी प्रमुख के तौर पर मनमाने ढंग से अकेले किसी को हटा नहीं सकते. विधानसभा अध्यक्ष ने शिंदे गुट के भरत गोगावले को सचेतक के रूप में नियुक्ति को वैध करार दिया है जबकि सुप्रीम कोर्ट ने उनकी नियुक्ति अबैध करार दी थी. नार्वेकर ने वर्ष 2018 में शिवसेना के संविधान में उद्भव ठाकरे की और से किए संशोधन को अस्वीकार कर दिया और वर्ष 1999 के संविधान को वैध माना उन्होंने दलबदल कानून के तहत शिंदे गुट के विधायकों को अयोग्य नहीं पाया. उनके अनुसार 10वीं अनुसूची की धारा 2 (1) एक के तहत शिंदे गुट के गतिविधियों को पार्टी विरोधी नहीं
माना, उसे असली पार्टी करार दिया. उनके अनुसार ठाकरे गुट के सुनील प्रभु को विधायकों की बैठक बुलाने का अधिकार नहीं था, क्योंकि ये सचेतक नहीं थे. उन्होंने यह भी व्यवस्था दी कि पार्टी विधायकों की बैठक में उपस्थित नहीं रहना पार्टी विरोधी गतिविधि के तहत नहीं आता है.
फैसला और निरीक्षण
• विधानसभा अध्यक्ष नार्वेकर ने आज 1200 पन्नों के फैसले को करीब 105 मिनट तक पढ़ा. इसके चलते महाराष्ट्र में पिछले डेढ़ साल से चल रहे सत्ता संघर्ष का बड़ा निर्णय सामने आया है. एकनाथ शिंदे की बगावत के बाद, उन्होंने खुद को भाजपा के साथ जोड़ लिया और सरकार बनाई. इसके बाद शिंदे ने शिवसेना पार्टी और चुनाव चिन्ह पर दावा किया. बाद में चुनाव आयोग ने उनके पक्ष में फैसला सुनाया और उनके दावे को सही ठहराया.
■ ठाकरे गुट की ओर से शिंदे गुट के 16 विधायकों के
खिलाफ दलबदल कानून के तहत याचिका दायर की गई वहीं, शिंदे गुट ने भी ठाकरे गुट के 14 विधायकों के खिलाफ याचिका दायर की थी नार्वेकर ने किसी भी विधायक को अयोग्य नहीं ठहराया गया है
• नार्वेकर ने कहा कि बहुमत के आधार पर शिवसेना शिंदे गुरुवार की है 21 जून 2022 को विधानमंडल सचिवालय के रिकॉर्ड के मुताबिक शिंदे दे गुट बहुमत में दिखाई दे रहा है. इसलिए, नार्वेकर ने माना कि शिंदे गुट ही उस दिन असली शिवसेना पार्टी थी. उन्होंने ठाकरे गुट का यह दावा खारिज कर दिया है कि पार्टी प्रमुख का निर्णय अंतिम है. शिवसेना पार्टी प्रमुख विधायक दल के नेता को पद से नहीं हटा सकते
• विधायकों को केवल इसी आधार पर अयोग्य नहीं ठहराया जा सकता कि वे संपर्क में नहीं थे इसके अलावा, यह भी साबित हुआ कि ठाकरे गुट के मिलिंद नार्वेकर और रवींद्र फाटक ने सूरत में एकनाथ शिंदे से मुलाकात की थी. 21 जून 2022 को शिवसेना विधायक दल की बैठक से अनुपस्थिति के मुद्दे पर अयोग्य नहीं ठहराया जा सकता है.
2018 का पार्टी संविधान अमान्य
ठाकरे गुट ने मांग की थी
2018 के पार्टी संविधान
संशोधन को संज्ञान में लिया
जाए, लेकिन, चुनाव आयोग
के पास 2018 की घटना का रिकॉर्ड नहीं है. चुनाव आयोग के पास जो कॉपी है, वह शिवसेना के 1999 के संविधान की. 2018 का शिवसेना संविधान स्वीकार नहीं किया जा सकता. इस बारे में योगेश कदम की गवाही महत्वपूर्ण है, चूंकि 23 जनवरी 2018 को कोई संगठनात्मक चुनाव नहीं हुआ था, इसलिए वह संविधान वैध नहीं है ‘शिवसेना पार्टी प्रमुख’ का पद 2018 में बनाया गया था. पार्टी नेता की स्वयं यानी पार्टी की राय मानी नहीं जा सकती, पार्टी नेता को सौधे पार्टी से हटाया नहीं जा सकता है. कार्यकारिणी से चर्चा के बाद निष्कासन कर निर्णय करना होगा, पार्टी प्रमुख अकेले कोई फैसला नहीं कर सकते. राष्ट्रीय कार्यकारिणी का फैसला अंतिम होता है
सुप्रीम कोर्ट फैसला करेगा
विधानसभा अध्यक्ष ने शिंदे गुट और ठाकरे गुट दोनों को अयोग्यता के मामले में नाराज नहीं किया. इसलिए दोनों गुटों के विधायक अयोग्य नहीं ठहराए गए. इसलिए अब विधायकों की अयोग्यता का पेमाला सुप्रीम कोर्ट में होने की संभावना है।
महाराष्ट्र सरकार पर कोई फर्क पड़ेगा न ही महाराष्ट्र विधानसभा में कुल सदस्यों की संख्या पर, ऐसे में कह सकते हैं कि विधानसभा अध्यक्ष ने चुनाव आयोग के रिकॉर्ड को आधार बनाते हुए एक बीच का रास्ता निकाला और अयोग्यता के मामले को दोनों खेमों में ड्रा कर दिया. न शिंदे गुट के विधायकों की सदस्यता गई और न ही उद्धव गुट के विधायकों की सदस्यता पर प्रश्नचिह्न लगा. महाराष्ट्र विधानसभा अध्यक्ष के फैसले के बाद दलीय स्थिति में कोई फर्क नहीं पड़ेगा.
मेरा फैसला पूरी तरह निष्पक्ष
नार्वेकर बोले, सवाल न उठाएं, असहमत हैं तो कोर्ट जाएं
अगर ठाकरे गुट को लगता है कि कोई गैर कानूनी फैसला लिया गया है तो उन्हें कोर्ट में जाना चाहिए. मेरा फैसला निष्पक्ष है. यह बात महाराष्ट्र विधानसभा अध्यक्ष राहुल नार्वेकर ने अपात्रता पर फैसला सुनाने के बाद कही. उन्होंने कहा कि मैंने जो निर्णय दिया है वह शाश्वत है. सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद यह फैसला सुनाया गया है.
मेरे ऊपर दबाव बनाने की कोशिश मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे से मुलाकात पर लगे आरोपों पर विधानसभा अध्यक्ष ने कहा कि मुझे लगता है कि यह दबाव बनाने की कोशिश हो सकती है. मैंने इस दौरान ठाकरे गुट के भी विधायकों से मुलाकात की थी. इन मुलाकातों का मेरे फैसले से कोई संबंध नहीं है.
फैसला कोर्ट के आदेश से बंधा हुआ है सुप्रीम कोर्ट ने फैसले में कहा था कि पहले यह तय करें कि यह किसकी पार्टी है. उसके बाद, विधानमंडल में बहुमत के आधार पर राजनीतिक दल का चयन किया गया और उसके आधार पर यह तय किया गया कि व्हिप किस पर लागू किया जाएगा. यह फैसला कोर्ट द्वारा दिए गए आदेश से बंधा हुआ है.
–राहुल नार्वेकर, विधानसभा अध्यक्ष
आरोपों पर आगे टिप्पणी करते हुए नार्वेकर ने कहा कि मंगलवार को एनसीपी नेता जयंत पाटिल और अनिल देसाई गोवा जाते समय मुझसे एयरपोर्ट पर मिले. ऐसे में कोई भी बोल सकता है कि हमारे बीच राजनीतिक चर्चा हुई
अध्यक्ष के समक्ष सुनवाई का घटनाक्रम
14 सितंबर 2023 : विधानसभा अध्यक्ष के समक्ष वास्तविक सुनवाई शुरू. दोनों गुटों को दस्तावेजों के आदान-प्रदान के लिए दो सप्ताह का समय दिया गया,
18 सितंबर 2023 : सुप्रीम कोर्ट ने अध्यक्ष से अयोग्यता पर सुनवाई का शेड्यूल पूछा 13 अक्तूबर 2023 : सुप्रीम कोर्ट
ने सुनवाई की कार्यवाही और सेड्यूल को लेकर विधानसभा अध्यक्ष से नाराजगी जताई हालांकि, लिखित आदेश में इसका कोई जिक्र नहीं है.
17 अक्तूबर, 2023 : सुप्रीम कोर्ट ने अध्यक्ष को वास्तविक समय सारिणी पेश करने का आखिरी मौका दिया.
30 अक्तूबर, 2023: सुप्रीम कोर्ट ने अध्यक्ष को 31 दिसंबर, 2023 तक शिवसेना विधायक अयोग्यता मामले पर फैसला सुनाने का निर्देश दिया.
21, 22, 23, 28, 29, 30 नवंबर 2023 : विधानसभा (मुंबई) के सेंट्रल हॉल में ठाकरे गुट के नेता
विधायक सुनील प्रभु की गवाही और जिरह हुई
1 और 2 दिसंबर, 2023: ठाकरे गुट के सचेतक विधायक सुनील प्रभु और कार्यालय सचिव विजय जोशी के बयान रिकॉर्ड किए गए और जिरह की गई
7, 8, 9, 11 और 12 दिसंबर 2023: नागपुर में शीतकालीन सत्र के दौरान सुनवाई हुई. सिंदे विधायक दिलीप लांडे, योगेश कदम, सांसद राहुल शेवाले, मंत्री उदय सामंत और मंत्री दीपक केसरकर ने गवाही दी और उनसे जिरह की गई
15 दिसंबर 2023 : विधानसभा अध्यक्ष ने सुप्रीम कोर्ट से फैसले को तीन हफ्ते आगे बढ़ाने का अनुरोध किया. कोर्ट ने समय-सीमा 10 दिन बढ़ा दी और 10 जनवरी तक फैसला सुनाने का निर्देश दिया.
18, 19 और 20 दिसंबर 2023 : तीन दिनों तक दोनों मुटों के वकीलों ने विधानसभा अध्यक्ष के सामने अपनी अंतिम दलीलें पेश कीं.
नौ महीने तक चली अदालत में सुनवाई
17 फरवरी, 2023 : चुनाव आयोग ने शिंदे गुट को आधिकारिक शिवसेना के रूप में मान्यता दी और उन्हें ‘धनुष्य बाण’ चिन्ह भी दिया, प्रधान न्यायाधीश की अध्यक्षता में पांच जजों की पीठ के गठन के बाद करीब नो महीने तक महाराष्ट्र में सत्ता संघर्ष की सुनवाई होती रही.
11 मई 2023 : सुप्रीम कोर्ट ने फैसला सुनाया. मुख्य राजनीतिक दल की ओर से जारी व्हिप लागू होता है न कि विधायक दल का. यानी कि उद्भव ठाकरे के सचेतक सुनील प्रभु का व्हिप वैध था, जबकि शिंदे के सचेतक भरत गोगावले का व्हिप अमान्य था. दलबदल निषेध कानून के मुताबिक शिंदे समेत 16 विधायकों की अयोग्यता पर फैसला महाराष्ट्र विधानसभा अध्यक्ष करेंगे