कांग्रेस ने ‘इंडिया’ गठबंधन
के घटक दलों के साथ सीट
बंटवारे पर शुरू की बातचीत
पार्टी अध्यक्ष खड़गे ने सौंपी जिम्मेदारी
नई दिल्लीः व्यापक आंतरिक विचार-विमर्श के बाद कांग्रेस ने लोकसभा चुनाव के लिए कुछ राज्यों में ‘इंडिया’ गठबंधन की समान विचारधारा वाली पार्टियों के साथ सीट बंटवारे पर बातचीत शुरु कर दी है. सूत्रों ने कहा कि पार्टी के वरिष्ठ नेताओं को गठबंधन के अन्य नेताओं से संपर्क करने के लिए कहा गया है और कुछ दलों के साथ बातचीत शुरु हो गई है. पंजाब और दिल्ली में आम आदमी पार्टी (आप) के साथ सीट बंटवारे को लेकर औपचारिक बातचीत सोमवार से शुरु होगी. सीट-बंटवारे पर कांग्रेस की पांच सदस्यीय समिति पहले ही प्रदेश कांग्रेस प्रमुखों के साथ आंतरिक परामर्श कर चुकी है और अपने निष्कर्ष पार्टी प्रमुख मल्लिकार्जुन खड़गे को सौंप चुकी है. इस समिति के संयोजक पूर्व सांसद मुकुल वासनिक और राजस्थान के पूर्व मुख्यमंत्री अशोक गहलोत
और भूपेश बघेल सदस्य है. अन्य दलों के साथ सीट बंटवारे पर बातचीत 28 दलों के विपक्षी गठबंधन द्वारा आगामी लोकसभा चुनावों में भाजपा से एकजुट होकर मुकाबला करने के निर्णय के बाद हुई है. ‘इंडिया’ गठबंधन 2024 में भाजपा को हराने के लिए लोकसभा चुनाव में एकजुट होकर विपक्षी उम्मीदवार उतारने पर सहमत हुआ है. सूत्रों ने कहा कि कांग्रेस अध्यक्ष खड़गे ने सीट बटवारा समिति के सदस्यों को अन्य दलों के साथ सीट बंटवारे पर काम करने की जिम्मेदारी दी है. सीट-बंटवारे की व्यवस्था की कठिनाई को स्वीकारा कांग्रेस का तमिलनाडु में द्रमुक, बिहार में
राजद और जदयू,झारखंड में झामुमो और असम में अन्य पार्टियों के साथ चुनाव-पूर्व गठबंधन है, लेकिन प्रमुख राज्यों में कुछ मुख्य दलों के साथ उसका कोई गठबंधन नहीं है. इनमें से सबसे अधिक गतिरोध वाले राज्यों में केरल, प. बंगाल, दिल्ली और पंजाब शामिल हैं, जहां ‘इंडिया’ गठबंधन के सहयोगियों के साथ सीट-बंटवारे की व्यवस्था की कठिनाई को पार्टी के अंदरूनी सूत्रों ने स्वीकार किया है. प. बंगाल में तृणमूल और लेफ्ट विपक्षी गठबंधन का हिस्सा होने के बावजूद एक दूसरे के साथ कोई समझौता नहीं चाहते हैं और कांग्रेस को इनमें से किसी एक को चुनना होगा. तृणमूल नेताओं और कांग्रेस प्रदेश प्रमुख अधीर रंजन चौधरी के हालिया बयान भी राज्य में तृणमूल और कांग्रेस के बीच संभावित साझेदारी के लिए अच्छे संकेत नहीं हैं.
मायावती को साधने में लगा ‘इंडिया’ गठबंधन
यूपी कांग्रेस के प्रभारी पांडे बोले: सहयोगी संपर्क में आगामी लोकसभा चुनाव को लेकर सीट
बंटवारे के मसले पर ‘इंडिया’ गठबंधन में सियासत तेज हो गई है. इसके चलते गठबंधन के कई दल यह चाहते हैं कि बसपा भी उसके साथ आए, लेकिन सपा के मुखिया नहीं चाहते कि बसपा ‘इंडिया’ गठबंधन का हिस्सा बने. इस मसले को लेकर Sp और bsp के बीच तीखी बहसबाजी होने लगी है. ऐसे उठापटक के माहौल में उत्तरप्रदेश में कांग्रेस के प्रभारी अविनाश पांडे ने रविवार को लखनऊ के पार्टी मुख्यालय में मीडिया कर्मियों से मुलाकात करते हुए यह खुलासा किया कि ‘इंडिया’ गठबंधन के कुछ साथी बसपा के संपर्क में हैं, यह साथी चाहते हैं कि भाजपा को शिकस्त देने के लिए बसपा का साथ मिले. हालांकि, ‘इंडिया’ गठबंधन के यह साथी कौन है? इस बारे में तो अविनाश पांडे
ने कोई खुलासा नहीं किया. दरअसल, उत्तरप्रदेश में कांग्रेस के प्रभारी बनाए गए अविनाश पांडे नई जिम्मेदारी पाने के बाद पहली बार लखनऊ आए, लेकिन उन्हें पता है की यूपी में कांग्रेस अपने दम पर भाजपा को रोकने में सक्षम नहीं है. वह यह भी जानते हैं कि बसपा और सपा के ‘इंडिया’ गठबंधन में साथ आने पर भाजपा की क्या हालत होगी. वहीं, पांडे को भरोसा है कि सपा और बसपा में तल्खी खत्म होगी और दोनों ही भाजपा को हराने में जुटेंगे. इस उम्मीद के बीच उन्होंने यूपी के कांग्रेसी नेताओं और समर्थकों से सो दिन देने की अपील की है. उन्होंने कहा कि ये सौ दिन ही लोकसभा चुनाव में पार्टी का भविष्य तय करेगा. इन 100 दिनों में चुनाव के लिहाज से पार्टी को मजबूत और सक्रीय किया जाएगा
सहयोगी दलों का धैर्य दे रहा जवाब
कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष अजय राय मध्यावती से गठबंधन में शामिल होने के लिए गंभीरता से विचार करने का आग्रह कर रहे हैं और सपा प्रमुख अखिलेश यादव बसपा को जगह देने के लिए बिल्कुल राजी नहीं है, दिल्ली में भी समझौते का रास्ता नहीं दिख रहे हैं, कांग्रेस 2019 के प्रदर्शन के आधार पर हिस्सेदारी चाहती है, तब पांच सीटों पर वह दूसरे नंबर पर थी. इस आधार पर दिल्ली में कांग्रेस को पांच और आप को दो सीटें मिलनी बाहिए, किन्तु आप कर सीटों से कम पर तैयार नहीं है. चार-तीन के बक्कर में बतचीत भी अभी तक शुरू नहीं हो पाई है.
• पंजाब में कांग्रेस पार्टी अपनी जगह छोड़ने के लिए तैयार नहीं है. पिछली बार 13 में उसे आठ सीटों पर जीत मिली थी, जबकि आप सूल्य पर आउट हो गई थी. बाद में उपचुनाव में एक सीट जीतने से उसका खाता खुला था. कांग्रेस को यहां 36 से 42 प्रतिशत वोट शेयर मिलता रहा है, लेकिन 2022 के विधानसभा चुनाव में 17.5 प्रतिशत पर आ गया।
कांग्रेस सहयोगी दलों के साथ अब सीट बंटवारे पर नहीं कर सकी फैसला 2019 के संसदीय चुनाव में 52 सीटें जीती थी एवं 209 सीटों पर दूसरे नंबर पर थी. इस हिसाब से 261 सोटों पर उसको दावेदारी प्रबल है, शेष 282 सीटें मित्र दलों के लिए बचती हैं. पार्टी की दावेदारी उन सीटों पर भी है, जिनपर उसकी जमानत बच गई थी. इस हिसाब से कुल 273 सीटों पर कांग्रेस की दावेदारी मजबूत है. ऐसे में गठबंधन के दलों के पास लड़ने के लिए 270 सीटें बच जाएंगी. 13 राज्यों में कांग्रेस पार्टी को शून्य सीटे मिली थीं।
2019 में उतारे थे 421 प्रत्याशी
वर्ष 2014 एवं 2019 के लोकसभा चुनावों में कांग्रेस को 13 राज्यों एवं केंद्रशासित प्रदेशों में एक भी सीट नहीं मिली थी. ऐसे राज्यों में दिल्ली, गुजरात, हिमाचल, राजस्थान, जम्मू- कश्मीर, उत्तराखंड, आंध्र प्रदेश, चंडीगढ़, दादरा नगर हवेली, दमन- दीव, नागालैंड, सिक्किम एवं त्रिपुरा है. 2019 में कांग्रेस ने देशभर में कुल 421 प्रत्याशी उतारे थे. इनमें से सिर्फ 52 ही जीते थे. बाकी बची 369 सीटों पर कांग्रेस पार्टी को हार का सामना करना पड़ा था. सिर्फ तीन राज्यों पंजाब, केरल एवं तमिलनाडु में कांग्रेस 38 सीटों पर लड़कर कुल 31 सीटें जीत लीं. बाकी बची 21 सीटें अन्य कुछ राज्यों में मिली, जिसके लिए कांगेस पार्टी को 383 उम्मीदवार उतारने पड़े.