..तो क्या पानी उलका पिंडों की टकराहट का नतीजा है? न..न..न ये मजाक नहीं है. इस तरह की बातें आजकल वैज्ञानिक कर रहे हैं और गंभीरता से कर रहे हैं. मगर पानी के संबंध में ये अकेली कहानी नहीं है. पानी के बारे में और भी कई अजूबी कहानियां कही और सुनी जा रही है. हालांकि आगे बढ़ने से पहले यह बात समझझ लीजिए कि अभी तक वैज्ञानिकों को इस संबंध में कोई अंतिम जानकारी नहीं है कि दूसरे ग्रहों में न मिलने वाला पानी धरती में क्यों है, इसका स्रोत क्या है या यह पानी इतना साफ क्यों है?
गौरतलब है कि सौर व्यवस्था में कोई ऐसा दूसरा ग्रह नहीं है जहां अव्वल तो इतना पानी हो, दूसरा इतना साफ हो. अब है तो फिर कहानियां हैं. कई कहानियां हैं. पर किसी के बारे में यह नहीं कहा जा सकता कि यही अंतिम है. दुनिया के महासागरों को लेकर जो एक सबसे विश्वसनीय सा लगने वाला तथ्य है, वह यह है कि ये संभवतः 4.6 अरब साल पहले बने, पर जैसा कि ऊपर कहा गया है चूंकि अभी तक पानी के संबंध में यह सबसे ज्यादा हिट कहानी नहीं है इसलिए हर कहानी के काट पहले से मौजूद है, कुछ वैज्ञानिकों का मानना है कि पानी चट्टानों और धूल से बना है, इनसे ही हमारा यह ग्रह बना है. शायद इसीलिए पानी की कहानी इतनी उलझी हुई है. हां, लेकिन रुकें इस कहानी के काटने वाले भी कम नहीं हैं. इस कहानी में पुच्छल तारों की भी अपनी भूमिका है. कुछ वैज्ञानिकों के मुताविक पानी सुदूर ब्रह्मांड से आया है और कुछ का कहना है धूमकेतुओं की वजह से महासागरों की रचना हुई है. अब और आगे बढ़िए,
बायोकेमिकल कहानियां क्या कुछ कम हैं? बायोकेमिकल कहानियों के मुताबिक लवणीकरण और फोटोसिंथेसिस प्रक्रिया पानी के लिए जिम्मेदार है. फोटोसिंथेसिस थ्योरी के मुताबिक रसायन युग्मों को रेडिएशन प्रक्रिया के तहत विस्खंडित किया जाता है, नतीजा पानी की प्राप्ति होती है.
पानी की कहानी बड़ी कठिन है. जितना आप पानी बारे में जानने की कोशिश करेंगे, उतना भ्रमित होंगे. के भले हमें लगे यह बहुत आसानी से उपलब्ध संसाधन है. लेकिन ऐसा नहीं है. पानी की प्रबंधकीय मात्रा पृथ्वी के विभिन्न रासायनिक तत्वों की हिस्सेदार है. पानी का अणु धरती को मजबूती भी देता है और उसे अपनी जगह बने रहने में भी बड़ी भूमिका निभाता है. हाइड्रोजन और हीलियम वातावरण में लगातार क्षरित होते हैं; लेकिन इसी कहानी को जब हम दूसरे ग्रहों में जोड़कर देखना चाहते हैं तो सारे तर्क गड्डमड्डू हो जाते है.
एक अध्ययन के मुताबिक पानी द्रव रूप में तकरीबन तभी से है, जब धरती की संरचना हुई. इसी की बदौलत ब्रह्मांड विस्फोट के नियम के मुताबिक धूल और आग के लावा को शांत या ठंडा किया जा सका. ऑस्ट्रेलिया में इस संबंध में हुए चट्टानीय खनिजों के अध्ययन से यह बात तार्किक रूप से सत्य पाई गई है कि धरती में पानी 4 अरब साल पहले से मौजूद है, लेकिन घूम-फिरकर कहानी फिर अजनवी ग्रहों तक ही पहुंचती है. आखिर ये पानी आया तो आया कहां से? पानी के बारे में एक बड़ी रोचक कहानी ये है कि हैली, हयाकुटके और हेलबॉब यानी पुच्छलतारों के युग्म पानी के वास्तविक जन्मदाता हैं. खोजकर्ताओं के मुताबिक, जिनमें प्रमुख हैं डेविड ज्यूइट, कहते हैं, ‘पानी का सबसे विश्वसनीय रिश्ता पुच्छलतारों से ही जुड़ रहा है. खैर, पानी की यह कहानी कितनी भी उलझी हुई क्यों न हो, पानी की भौतिक दुनिया कतई उलझी हुई नहीं है. पानी की भौतिक दुनिया को देखने के लिए न तो सूक्ष्मदर्शियों की जरूरत है और न ही इसके गुणधर्मों को समझने के लिए किसी नियम की जरूरत है. 70 फीसदी पानी धरती को चारों तरफ से घेरे हुए है.
अमेरिका पानी की बहुत बर्बादी करता है. अमेरिका 34600 करोड़ गैलन पानी का इस्तेमाल हर दिन करता है, जो तकरीबन पूरे मध्यपूर्व में इस्तेमाल होने वाले पानी से भी ज्यादा है. अमेरिका में 80 फीसदी पानी, सिंचाई और बिजली बनाने में इस्तेमाल होता है. अमेरिका का हर आदमी 80 से 100 गैलन पानी हर दिन इस्तेमाल करता है जबकि सही मायनों में दुनिया के हर व्यक्ति के खाते में 5 लीटर पानी भी एक दिन में उपलब्ध नहीं है. इससे अंदाजा लगाया जा सकता है कि हर अमेरिकी नागरिक दुनिया के 250 से 400 लोगों के हिस्से का पानी चट कर जाता है. पानी के इस्तेमाल में यह अमेरिका की सबसे खौफनाक दादागीरी है.
एक अनुमान के मुताबिक 85 फीसदी पानी जो अमेरिकी घरों में इस्तेमाल होता है, वह सार्वजनिक जल सुविधा के तहत हासिल होता है जबकि 15 फीसदी पानी यहां के लोगों की निजी व्यवस्था के तहत हासिल होता है. हमारे शरीर में 70 फीसदी से ज्यादा पानी है. एक वयस्क व्यक्ति के शरीर में 5 लीटर से ज्यादा पानी मौजूद होता है. पानी खून का सबसे बड़ा हिस्सा है.
पानी की बदौलत ही शरीर में संतुलन रहता है और पानी की बदौलत ही शरीर का श्वसन तंत्र सुचारु रुप से चलता है. एक फीसदी पानी सिर्फ पीने में इस्तेमाल होता है. इससे अंदाजा लगाया जा सकता है कि पानी की कितनी ज्यादा बर्बादी होती है. बच्चा पैदा होता है तो उसके शरीर में तकरीबन 80 फीसदी पानी होता है. दुनियाभर के लोग मिलकर 54 फीसदी पानी का इस्तेमाल करते हैं जो कि नदियों, झीलों, नलकूपों आदि से हासिल होता है. आज की तारीख में हमें इन तमाम जलस्रोतों को बचाए जाने और इनके संरक्षण की जरुरत है.
धरती में 70 फीसदी पानी उपलब्ध है और 30 फीसदी जमीन. अगर धरती में मौजूद पानी को हम क्यूबिक में बदल दें तो 326 मिलियन क्यूबिक या 32 करोड़ 60 लाख मील के बराबर पानी मौजूद है. यह धरती में मौजूद समूचे पानी का जोड़ है.
धरती में पानी आखिर आया कहां से…? जानिए वैज्ञानिक कारण ?
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